🙏 कैसे मनाते हैं गुरु पूर्णिमा– भारत में गुरु-शिष्य परंपरा का बहुत गहरा महत्व है। इसी परंपरा को सम्मान देने के लिए हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
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🕉️ गुरु का महत्व
हमारे शास्त्रों में कहा गया है:
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु: गुरुर्देवो महेश्वर:।
गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम:॥
गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के समान माना गया है। जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी है क्योंकि वही हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाते हैं और सही दिशा दिखाते हैं।
📜 गुरु पूर्णिमा का इतिहास
गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दिन महर्षि वेदव्यास का जन्म हुआ था। उन्होंने महाभारत की रचना की और चारों वेदों का संकलन किया। इसीलिए इस दिन को उनके सम्मान में भी मनाया जाता है।
🌸 गुरु पूर्णिमा का महत्त्व
गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने गुरु का सम्मान करते हैं, उनके चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं। कई लोग इस दिन उपवास रखते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।
इस दिन केवल आध्यात्मिक गुरु ही नहीं, बल्कि हर वह व्यक्ति जो हमें सही मार्ग दिखाता है, हमारा सच्चा गुरु होता है — चाहे वह माता-पिता हों, शिक्षक हों या जीवन में कोई और मार्गदर्शक।

🙏 कैसे मनाते हैं गुरु पूर्णिमा
- गुरु के चरणों में पुष्प अर्पित करना
- उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेना
- भजन-कीर्तन और सत्संग में भाग लेना
- गरीबों को भोजन या दान देना
- ध्यान और आत्मचिंतन करना
💡 निष्कर्ष
गुरु पूर्णिमा हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में किसी भी मंजिल तक पहुँचने के लिए गुरु का मार्गदर्शन सबसे जरूरी होता है। गुरु ही हमें सच्चा ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।
तो आइए, इस गुरु पूर्णिमा पर हम अपने सभी गुरुओं के प्रति आभार व्यक्त करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को उज्ज्वल बनाएं।
